हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.45.7

मंडल 8 → सूक्त 45 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 45
यदा॒जिं यात्या॑जि॒कृदिन्द्रः॑ स्वश्व॒युरुप॑ । र॒थीत॑मो र॒थीना॑म् ॥ (७)
युद्धकर्तता एवं शोभन अश्च वाले अभिलाषी इंद्र जब युद्ध करने जाते हैं तब वे रथियों में सबसे प्रधान होते हैं. (७)
Indra, who aspires to fight and adornment, is the most prominent of the charioteers when he goes to war. (7)