हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.46.24

मंडल 8 → सूक्त 46 → श्लोक 24 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
दाना॑सः पृथु॒श्रव॑सः कानी॒तस्य॑ सु॒राध॑सः । रथं॑ हिर॒ण्ययं॒ दद॒न्मंहि॑ष्ठः सू॒रिर॑भू॒द्वर्षि॑ष्ठमकृत॒ श्रवः॑ ॥ (२४)
शोभन धन वाले, कन्यापुत्र पृथुश्रवा का दान यही है. उन्होंने सोने का रथ दिया है, अतिशय दाता एवं सबके प्रेरक पृथुश्रवा ने अधिक बढ़ी हुई कीतिं प्राप्त की है. (२४)
This is the donation of The Son of The Son of Shobhan Dhan, The Daughter of Prithushrava. He has given a chariot of gold, the most powerful and inspiring of all, Prithushrava has achieved a much increased keeti. (24)