ऋग्वेद (मंडल 8)
यद्दे॑वाः॒ शर्म॑ शर॒णं यद्भ॒द्रं यद॑नातु॒रम् । त्रि॒धातु॒ यद्व॑रू॒थ्यं१॒॑ तद॒स्मासु॒ वि य॑न्तनाने॒हसो॑ व ऊ॒तयः॑ सुऊ॒तयो॑ व ऊ॒तयः॑ ॥ (१०)
हे आदित्यो! हमें शरण लेने योग्य, शरण के योग्य, सबके द्वारा सेवनीय, रोगरहित, तीन गुणों से युक्त एवं घर के अनुकूल सुख प्रदान करो. तुम्हारी रक्षा उपद्रवरहित एवं शोभन है. (१०)
O Adityao! Give us refuge, worthy of refuge, consumeable by all, disease-free, full of three qualities and home-friendly happiness. Your protection is foolproof and beautiful. (10)