हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
उ॒भयं॑ श‍ृ॒णव॑च्च न॒ इन्द्रो॑ अ॒र्वागि॒दं वचः॑ । स॒त्राच्या॑ म॒घवा॒ सोम॑पीतये धि॒या शवि॑ष्ठ॒ आ ग॑मत् ॥ (१)
इंद्र हमारे दोनों प्रकार के वचनों को शीघ्र सुनें. इंद्र हमारे यज्ञकर्म के साथ रहकर धनवान्‌ तथा शक्तिशाली हों एवं सोमरस पीने के लिए आवें. (१)
Indra should listen to both our words quickly. May Indra be rich and powerful by staying with our yajnakarma and come to drink someras. (1)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
तं हि स्व॒राजं॑ वृष॒भं तमोज॑से धि॒षणे॑ निष्टत॒क्षतुः॑ । उ॒तोप॒मानां॑ प्रथ॒मो नि षी॑दसि॒ सोम॑कामं॒ हि ते॒ मनः॑ ॥ (२)
द्यावा-पृथिवी ने स्वयं सुशोभित एवं अभिलाषापूरक इंद्र का संस्कार तेज पाने के लिए किया था. हे इंद्र! तुम अपने समान देवों में प्रमुख बनकर यज्ञवेदी पर बैठो. तुम्हारा मन सोमरस का इच्छुक है. (२)
Dyava-Prithivi himself performed the rites of the decorated and wishful Indra to get faster. O Indra! You sit on the yajnavedi as the head of the same gods as you. Your mind is inclined to Somerasa. (2)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
आ वृ॑षस्व पुरूवसो सु॒तस्ये॒न्द्रान्ध॑सः । वि॒द्मा हि त्वा॑ हरिवः पृ॒त्सु सा॑स॒हिमधृ॑ष्टं चिद्दधृ॒ष्वणि॑म् ॥ (३)
हे अधिक धनी इंद्र! तुम निचोड़े हुए सोमरस से अपने उदर को सींचो. हे हरि नामक अश्चों के स्वामी इंद्र! हम इन्हें संग्राम में शत्रु को हराने वाला, दूसरों द्वारा पराजित न होने वाला एवं दूसरों को दबाने वाला जानते हैं. (३)
O richer Indra! You water your abdomen from the squeezed somerus. O Lord Indra of tears named Hari! We know them to be the one who defeated the enemy in the struggle, not to be defeated by others and to suppress others. (3)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
अप्रा॑मिसत्य मघव॒न्तथेद॑स॒दिन्द्र॒ क्रत्वा॒ यथा॒ वशः॑ । स॒नेम॒ वाजं॒ तव॑ शिप्रि॒न्नव॑सा म॒क्षू चि॒द्यन्तो॑ अद्रिवः ॥ (४)
हे इंद्र! यह सत्य है कि तुम धन के स्वामी एवं सत्य के रक्षक हो. हम अपने यज्ञकर्मो द्वारा फलों के अभिलाषी हों. हे टोपधारी इंद्र! तुम्हारी रक्षा के कारण हम अन्न का सेवन करें. हे वज्रधारी इंद्र! हम शीघ्र ही शत्रुओं को पराजित करेंगे. (४)
O Indra! It is true that you are the master of wealth and the protector of truth. Let us desire fruits through our sacrificial deeds. O top-wielding Indra! We should consume food because of your protection. O Vajradhari Indra! We will soon defeat the enemies. (4)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
श॒ग्ध्यू॒३॒॑ षु श॑चीपत॒ इन्द्र॒ विश्वा॑भिरू॒तिभिः॑ । भगं॒ न हि त्वा॑ य॒शसं॑ वसु॒विद॒मनु॑ शूर॒ चरा॑मसि ॥ (५)
हे शक्ति के स्वामी इंद्र! अपने समस्त रक्षासाधनों द्वारा हमें अभीष्ट फल दो. हे शूर, यशस्वी एवं धनदाता इंद्र! हम भाग्य के समान तुम्हारी सेवा करेंगे. (५)
O Lord of Power Indra! Give us the desired results through all your defense tools. O Shura, successful and wealthy Indra! We will serve you like luck. (5)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
पौ॒रो अश्व॑स्य पुरु॒कृद्गवा॑म॒स्युत्सो॑ देव हिर॒ण्ययः॑ । नकि॒र्हि दानं॑ परि॒मर्धि॑ष॒त्त्वे यद्य॒द्यामि॒ तदा भ॑र ॥ (६)
हे इंद्र! तुम अश्चों को पूर्ण करने वाले, गायों की संख्या बढ़ाने वाले, सोने के शरीर वाले एवं झरने के समान हो. हमें तुम जो दान देना चाहते हो उसे कोई रोक नहीं सकता, इसलिए हम जब-जब मांगें, तब-तब हमें धन देना. (६)
O Indra! You are the one who completes the ashes, increases the number of cows, has a gold body and is like a waterfall. No one can stop the donations you want to give us, so give us money whenever we ask. (6)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
त्वं ह्येहि॒ चेर॑वे वि॒दा भगं॒ वसु॑त्तये । उद्वा॑वृषस्व मघव॒न्गवि॑ष्टय॒ उदि॒न्द्राश्व॑मिष्टये ॥ (७)
हे इंद्र! तुम आओ और धनदान के लिए हमें भोग के योग्य धन दो. हे धनस्वामी इंद्र! मुझ गाय चाहने वाले को गाय दो और अश्च चाहने वाले को अश्व दो. (७)
O Indra! You come and give us money worthy of enjoyment for money. O Dhanswami Indra! Give a cow to the one who wants me a cow and give a horse to the one who wants the horse. (7)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
त्वं पु॒रू स॒हस्रा॑णि श॒तानि॑ च यू॒था दा॒नाय॑ मंहसे । आ पु॑रंद॒रं च॑कृम॒ विप्र॑वचस॒ इन्द्रं॒ गाय॒न्तोऽव॑से ॥ (८)
हे इंद्र! तुम अनेक हजार एवं सौ गायों का समूह देने के लिए स्वीकृति देते हो. हम विविध उत्तम वचन बोलते हुए एवं नगरों का भेदन करने वाले इंद्र की स्तुति करते हुए अपनी रक्षा के हेतु उन्हें अपनी ओर ले आवेगे. (८)
O Indra! You approve to give a group of several thousand and a hundred cows. We will take indra towards us for our protection, speaking various good words and praising him who penetrates the cities. (8)
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