ऋग्वेद (मंडल 8)
स॒हस्रे॒ पृष॑तीना॒मधि॑ श्च॒न्द्रं बृ॒हत्पृ॒थु । शु॒क्रं हिर॑ण्य॒मा द॑दे ॥ (११)
मैं हजारों गायों के ऊपर धारण किए हुए, महान्, विस्तृत, आह्लादकारक एवं निर्मल हिरण्य को स्वीकार करता हूं. (११)
I accept the great, the wide, the inspiring and the serene hiranya, held on top of thousands of cows. (11)