हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.57.17

मंडल 8 → सूक्त 57 → श्लोक 17 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 57
षळश्वा॑ँ आतिथि॒ग्व इ॑न्द्रो॒ते व॒धूम॑तः । सचा॑ पू॒तक्र॑तौ सनम् ॥ (१७)
मैंने ऋक्ष एवं अश्वमेध के पुत्रों द्वारा दिए गए घोड़ों के साथ ही शुद्ध यज्ञकर्म वाले एवं अतिथिग्व के पुत्र इंद्रोत द्वारा घोड़ियों सहित दिए गए घोड़ों को ग्रहण किया है. (१७)
I have received the horses given by the sons of Raksh and Ashwamedha, as well as the horses given by Indrat, the son of the pure yajnakarma and the guestman. (17)