हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.6.44

मंडल 8 → सूक्त 6 → श्लोक 44 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 6
इन्द्रमिद्विमहीनां मेधे वृणीत मर्त्यः. इन्द्रं सनिष्युरूतये.. (४४)
मनुष्य लोग धन की इच्छा से अथवा रक्षा पाने के लिए विशेषरूप से महान्‌ देवों के बीच में इंद्र को ही स्वीकार करते हैं. (४४)
Human beings accept Indra, especially among the great gods, for the desire for wealth or for protection. (44)