हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.63.3

मंडल 8 → सूक्त 63 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 63
पन्यां॑सं जा॒तवे॑दसं॒ यो दे॒वता॒त्युद्य॑ता । ह॒व्यान्यैर॑यद्दि॒वि ॥ (३)
अग्नि स्तोता के यज्ञकर्म की प्रशंसा करने वाले, जातवेद तथा यज्ञ में डाले गए हव्य को स्वर्ग में ले जाने वाले हैं. (३)
Those who admire the yajnakarma of agni stota are going to take the jata veda and the havan inserted in the yajna to heaven. (3)