हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.73.2

मंडल 8 → सूक्त 73 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 73
क॒विमि॑व॒ प्रचे॑तसं॒ यं दे॒वासो॒ अध॑ द्वि॒ता । नि मर्त्ये॑ष्वाद॒धुः ॥ (२)
इंद्र आदि देवों ने मनुष्यों में जिस अग्नि को दो रूप से स्थापित किया है एवं जो प्रकृष्ट ज्ञानी पुरुष के समान हैं, उन अग्नि की मैं स्तुति करता हूं. (२)
I praise the agni which Indra and the gods have established in humans in two ways and who are like a wise man. (2)