ऋग्वेद (मंडल 8)
यस्ते॑ चि॒त्रश्र॑वस्तमो॒ य इ॑न्द्र वृत्र॒हन्त॑मः । य ओ॑जो॒दात॑मो॒ मदः॑ ॥ (१७)
हे इंद्र! हमने तुम्हारे निमित्त अतिशय कीर्ति वाला, पापों का सर्वाधिक नाशक एवं अतिशय बलदाता सोमरस निचोड़ा है. (१७)
O Indra! We have squeezed for you someras, the most virtuous of the sins, and the most powerful. (17)