ऋग्वेद (मंडल 8)
त्वं पुर॑ इन्द्र चि॒किदे॑ना॒ व्योज॑सा शविष्ठ शक्र नाश॒यध्यै॑ । त्वद्विश्वा॑नि॒ भुव॑नानि वज्रि॒न्द्यावा॑ रेजेते पृथि॒वी च॑ भी॒षा ॥ (१४)
हे अतिशय बलशाली एवं शत्रुमारणसमर्थ इंद्र! तुम शंबर की इन नगरियों को शक्ति द्वारा नष्ट करना जानते हो. हे वज्रधारी इंद्र! तुम्हारे भय से सभी प्राणी एवं द्यावा-पृथिवी कांपते हैं. (१४)
O very strong and hostile Indra! You know how to destroy these cities of Shambar by power. O thunderbolt Indra! All beings and earth tremble with your fear. (14)