हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.90.4

मंडल 8 → सूक्त 90 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 90
न यः स॒म्पृच्छे॒ न पुन॒र्हवी॑तवे॒ न सं॑वा॒दाय॒ रम॑ते । तस्मा॑न्नो अ॒द्य समृ॑तेरुरुष्यतं बा॒हुभ्यां॑ न उरुष्यतम् ॥ (४)
हे मित्र व वरुण! जो शत्रु भली प्रकार पूछने पर भी प्रसन्न नहीं होता और जो बार-बार बुलाने एवं बातचीत करने पर भी आनंदित नहीं होता, आज हमें उसके साथ युद्ध से बचाओ. हमें उसकी भुजाओं से बचाओ. (४)
Oh my friend and Varun! The enemy who is not happy even when asked well and who does not rejoice in repeated calls and conversations, save us from war with him today. Save us from his arms. (4)