ऋग्वेद (मंडल 8)
ते हि॑न्विरे अरु॒णं जेन्यं॒ वस्वेकं॑ पु॒त्रं ति॑सॄ॒णाम् । ते धामा॑न्य॒मृता॒ मर्त्या॑ना॒मद॑ब्धा अ॒भि च॑क्षते ॥ (६)
वे देव पृथ्वी, अंतरिक्ष तथा द्युलोक तीनों को लाल रंग वाला, जय का साधन व निवासस्थान देने वाला एक सूर्यरूपी पुत्र देते हैं. वे मरणरहित एवं अपराजेय देवगण मनुष्यों के स्थानों को देखते हैं. (६)
They give the god earth, space and dulok to all three of them a red color, a source of victory and a sun-like son who gives them a place of abode. They see the places of the mortal and invincible gods. (6)