ऋग्वेद (मंडल 8)
हु॒वे वात॑स्वनं क॒विं प॒र्जन्य॑क्रन्द्यं॒ सहः॑ । अ॒ग्निं स॑मु॒द्रवा॑ससम् ॥ (५)
मैं वायु के समान शब्द करने वाले, कवि, मेघ के समान गर्जन करने वाले, बली एवं समुद्र में निवास करने वाले अग्नि को बुलाता हूं. (५)
I call the sound of the wind, the poet, the roaring like the cloud, the bali and the agni that dwells in the sea. (5)