ऋग्वेद (मंडल 9)
त्वां रि॑हन्ति मा॒तरो॒ हरिं॑ प॒वित्रे॑ अ॒द्रुहः॑ । व॒त्सं जा॒तं न धे॒नवः॒ पव॑मान॒ विध॑र्मणि ॥ (७)
हे पवमान सोम! पैदा हुए बछड़ों को जिस प्रकार गाएं चाटती हैं, उसी प्रकार हव्यधारक यज्ञ में द्रोहरहित एवं माताओं के समान जल हरे रंग वाले तुमको चाटते हैं. (७)
O Lord Mon! Just as cows lick the born calves, in the same way, the devotees lick you in the yagya without treason and water green like mothers. (7)