हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.101.15

मंडल 9 → सूक्त 101 → श्लोक 15 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 101
स वी॒रो द॑क्ष॒साध॑नो॒ वि यस्त॒स्तम्भ॒ रोद॑सी । हरिः॑ प॒वित्रे॑ अव्यत वे॒धा न योनि॑मा॒सद॑म् ॥ (१५)
शक्ति के साधन वे सोम वीर हैं एवं अपने तेज से द्यावा-पृथिवी को ढकते हैं. यज्ञ करने वाला यजमान जिस प्रकार अपने घर में बैठता है, उसी प्रकार हरे रंग वाले सोम अपने कलश में बैठते हैं. (१५)
By means of power, they are so heroic and cover the dyava-prithvi with their fast. Just as the yajman performing the yajna sits in his house, the green-colored Som sits in his kalash. (15)