हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.40.1

मंडल 9 → सूक्त 40 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 40
पु॒ना॒नो अ॑क्रमीद॒भि विश्वा॒ मृधो॒ विच॑र्षणिः । शु॒म्भन्ति॒ विप्रं॑ धी॒तिभिः॑ ॥ (१)
निचुड़ते हुए एवं सबको देखने वाले सोम सभी हिंसक शत्रुओं को लांघ गए. लोग मेधावी सोम को स्तुतियों द्वारा अलंकृत करते हैं. (१)
Mon, who was helpless and watching everyone, overcame all the violent enemies. People adorn the meritorious Mon with praises. (1)