हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.46.6

मंडल 9 → सूक्त 46 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
ए॒तं मृ॑जन्ति॒ मर्ज्यं॒ पव॑मानं॒ दश॒ क्षिपः॑ । इन्द्रा॑य मत्स॒रं मद॑म् ॥ (६)
दस उंगलियां मसलने योग्य, टपकते हुए एवं नशीले इस सोम को इंद्र के निमित्त पवित्र करती हैं. (६)
Ten fingers are movable, dripping and intoxicating to sanctify this mon for Indra's sake. (6)