हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.61.17

मंडल 9 → सूक्त 61 → श्लोक 17 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 61
पव॑मानस्य ते॒ रसो॒ मदो॑ राजन्नदुच्छु॒नः । वि वार॒मव्य॑मर्षति ॥ (१७)
हे दीप्तिशाली सोम! जब तुम शुद्ध होते हो तो तुम्हारा राक्षसनाशक एवं मदकारक रस भेड़ के बालों से बने हुए दशापवित्र पर जाता है. (१७)
O radiant Mon! When you are cleansed, your demonic and intoxicating juice goes to the dashapavitra made of sheep's hair. (17)