हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.64.1

मंडल 9 → सूक्त 64 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 64
वृषा॑ सोम द्यु॒माँ अ॑सि॒ वृषा॑ देव॒ वृष॑व्रतः । वृषा॒ धर्मा॑णि दधिषे ॥ (१)
हे सोम! तुम अभिलाषापूरक एवं दीप्तिशाली हो. हे दीप्तिशाली एवं अभिलाषापूरक सोम! तुम देवों और मानवों के उपयोगी कर्मो को धारण करते हो. (१)
Hey Mon! You are full of desire and bright. O glorious and wishful Mon! You possess the useful deeds of gods and human beings. (1)