ऋग्वेद (मंडल 9)
आ ते॒ दक्षं॑ मयो॒भुवं॒ वह्नि॑म॒द्या वृ॑णीमहे । पान्त॒मा पु॑रु॒स्पृह॑म् ॥ (२८)
हे सोम! हम स्तोता आज तुम्हारे सुखदाता, धनादि के वहन करने वाले, शत्रुओं से रक्षा करने वाले एवं बहुतों द्वारा अभिलषित बल को वरण करते हैं. (२८)
Hey Mon! Today, we choose your comforter, the bearer of wealth, the protector from enemies and the force desired by many. (28)