ऋग्वेद (मंडल 9)
त्रि॒भिष्ट्वं दे॑व सवित॒र्वर्षि॑ष्ठैः सोम॒ धाम॑भिः । अग्ने॒ दक्षैः॑ पुनीहि नः ॥ (२६)
हे सबके प्रेरक, दीप्तिशाली एवं पवित्र करने के गुण से युक्त अग्नि! तुम अपने बढ़े हुए एवं सामर्थ्य वाले तीन तेजों द्वारा हमें पापरहित करो. (२६)
O agni with the power of inspiring, glorious and sanctifying all! You make us sinless with your three glory of great power and power. (26)