हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.71.1

मंडल 9 → सूक्त 71 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 71
आ दक्षि॑णा सृज्यते शु॒ष्म्या॒३॒॑सदं॒ वेति॑ द्रु॒हो र॒क्षसः॑ पाति॒ जागृ॑विः । हरि॑रोप॒शं कृ॑णुते॒ नभ॒स्पय॑ उप॒स्तिरे॑ च॒म्वो॒३॒॑र्ब्रह्म॑ नि॒र्णिजे॑ ॥ (१)
सोम-संबंधी यज्ञ में ऋत्विजों को दक्षिणा दी जाती है. शक्तिशाली सोम द्रोणकलश में प्रवेश करते हैं. जागरणशील सोम अपने स्तोताओं को द्रोही राक्षसों से बचाते हैं. हरे रंग वाले सोम सबके धारण करने वाले एवं आकाश के तल-जल को बनाते हैं तथा द्यावा-पृथिवी को ढकने के लिए तथा अंधकार मिटाने के लिए सूर्य को स्थिर करते हैं. (१)
In the Som-related yajna, dakshina is given to the ritvijas. Enter the powerful Mon Dronakalash. Jagajeel Som protects his stoes from the evil demons. The green-colored mons make up the water of the sky, which is ensconced by all, and stabilizes the sun to cover the dyava-earth and remove the darkness. (1)