ऋग्वेद (मंडल 9)
दि॒वो न सानु॑ स्त॒नय॑न्नचिक्रद॒द्द्यौश्च॒ यस्य॑ पृथि॒वी च॒ धर्म॑भिः । इन्द्र॑स्य स॒ख्यं प॑वते वि॒वेवि॑द॒त्सोमः॑ पुना॒नः क॒लशे॑षु सीदति ॥ (९)
सोम ह्युलोक के ऊंचे स्थान को शब्दपूर्ण करते हुए चिल्लाते हैं एवं अपनी शक्ति से द्यावा-पृथिवी को धारण करते हैं. सोम इंद्र की मित्रता को जानते हुए छनते हैं एवं द्रोणकलशों में स्थित होते हैं. (९)
Som shouts the high position of The Hulloka wordfully and holds the dyava-prithvi with his power. Som knows indra's friendship and is located in dronakalshas. (9)