ऋग्वेद (मंडल 9)
ए॒ष स्य ते॑ पवत इन्द्र॒ सोम॑श्च॒मूषु॒ धीर॑ उश॒ते तव॑स्वान् । स्व॑र्चक्षा रथि॒रः स॒त्यशु॑ष्मः॒ कामो॒ न यो दे॑वय॒तामस॑र्जि ॥ (४६)
हे कामना करने वाले इंद्र! धीर एवं वेगशाली सोम तुम्हारे लिए चमू नामक पात्रों में गिरते हैं, सबको देखने वाले, रथयुक्त एवं सच्ची शक्ति वाले सोम देवों की इच्छा करने वाले यजमानों के लिए अभिलाषापूरक के समान बनाए जाते हैं. (४६)
O wishing Indra! The patient and the fast-paced soms fall for you in characters called Chamu, made like a wish-fulfiller for the hosts who see everyone, who desire the chariot-ridden and true-powered Som Devas. (46)