हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 1.2.10

अध्याय 1 → खंड 2 → मंत्र 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 2
आदित्प्रत्नस्य रेतसो ज्योतिः पश्यन्ति वासरम् । परो यदिध्यते दिवि ॥ (१०)
हे अग्नि! स्वर्गलोक से ऊपर सूर्य रूप में अग्नि प्रकाशित होती है. तभी सब प्राणी उस प्रकाश वाले तेज का दर्शन करते हैं. (१०)
O agni! Agni is illuminated in the form of sun above heaven. Only then do all beings see the brightness of that light. (10)