सामवेद (अध्याय 1)
आ जुहोता हविषा मर्जयध्वं नि होतारं गृहपतिं दधिध्वम् । इडस्पदे नमसा रातहव्यँ सपर्यता यजतं पस्त्यानाम् ॥ (१)
हे ऋत्विजो (यजमानो)! आप अग्नि देव को आमंत्रित कीजिए. आप सब ओर शुद्धता फैलाने वाली हवि अग्नि देव को प्रदान कीजिए. गृहपति गृह की रक्षा करने वाली अग्नि की स्थापना करें. हवन की चीजों के साथसाथ आप स्तुति कर के उन का स्वागतसत्कार करें. (१)
O Ritvijo (host)! You invite Agni Dev. You provide the havi that spreads purity everywhere to the agni god. Establish the agni that protects the house. Along with the things of havan, you should welcome them by praising them. (1)