हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.6.3

अध्याय 11 → खंड 6 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 6
प्रप्र क्षयाय पन्यसे जनाय जुष्टो अद्रुहः । वीत्यर्ष पनिष्टये ॥ (३)
हे सोम! आप उपासना के योग्य हैं. यजमान आप की स्थिरता का प्रयास करते हैं. जो मनुष्य द्वेष रहित हैं और जो आप का गुणगान करते हैं, उन को आप पोषक आहार के रूप में प्राप्त होते हैं. (३)
O Mon! You are worthy of worship. Hosts try to stabilize you. Those who are devoid of malice and who praise you, they get you as a nutritious diet. (3)