सामवेद (अध्याय 11)
अग्निं वो वृधन्तमध्वराणां पुरूतमम् । अच्छा नप्त्रे सहस्वते ॥ (१)
हे यजमानो! अग्नि अकूत शक्ति के भंडार हैं. वह बढ़ोतरी करने वाले व श्रेष्ठतम हैं. आप सभी अग्नि के निकट पहुंचिए. (१)
O hosts! Agni is a storehouse of immense power. He is the grower and the best. You all get close to the agni. (1)