हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 12.2.8

अध्याय 12 → खंड 2 → मंत्र 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 12)

सामवेद: | खंड: 2
यवंयवं नो अन्धसा पुष्टंपुष्टं परि स्रव । विश्वा च सोम सौभगा ॥ (८)
हे सोम! आप हमें बारबार पुष्टातिपुष्ट (अधिक पुष्ट) बनाने के लिए झरिए. आप हमें सारे वैभवों से सौभाग्यवान बनाने की कृपा कीजिए. (८)
O Mon! You ask us to make it more robust again and again. Please make us fortunate with all the glory. (8)