सामवेद (अध्याय 12)
पातं नो मित्रा पायुभिरुत त्रायेथाँ सुत्रात्रा । साह्याम दस्यूं तनूभिः ॥ (६)
हे मित्र! हे वरुण! आप अपने रक्षासाधनों से हमारी रक्षा कीजिए. आप की कृपा से हम अपने शरीर द्वारा शत्रुओं को नष्ट कर सकें. (६)
Hey friend! O Varuna! You protect us with your defence tools. By your grace, we can destroy enemies through our body. (6)