हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 13.3.2

अध्याय 13 → खंड 3 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 3
भरामेध्मं कृणवामा हवीँषि ते चितयन्तः पर्वणापर्वणा वयम् । जीवातवे प्रतरँ साधया धियोऽग्ने सख्ये म रिषामा वयं तव ॥ (२)
हे अग्नि! हम पवित्र पर्व पर आप को समिधाओं से प्रदीप्त करते हैं. हवि प्रदान करते हैं. आप का चिंतन करते हैं. आप हमारी बुद्धि तीव्र करिए. हम आप की कृपा से अपना यज्ञ सफल बनाएं और कष्टों से मुक्त रहें. (२)
O agni! We illuminate you with samidhas on the holy festival. Havi provide. Let's think of you. You sharpen our intellects. Let us make our yajna successful by your grace and stay free from sufferings. (2)