हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 14.1.12

अध्याय 14 → खंड 1 → मंत्र 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 14)

सामवेद: | खंड: 1
अभि प्रियं दिवस्पदमध्वर्युभिर्गुहा हितम् । सूरः पस्यति चक्षसा ॥ (१२)
शूरवीर इंद्र अपने नेत्रों से सोम को देखते हैं. सोम स्वर्गलोक में प्रिय हैं. अध्वर्यु उन्हें (सब के) हृदय में स्थापित करते हैं. (१२)
Knight Indra looks at Som with his eyes. Som is beloved in heaven. Adhwaryu establishes them in the heart (of all). (12)