हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 14.1.2

अध्याय 14 → खंड 1 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 14)

सामवेद: | खंड: 1
प्र हँसासस्तृपला वग्नुमच्छामादस्तं वृषगणा अयासुः । आङ्गोषिणं पवमानँ सखायो दुर्मर्षं वाणं प्र वदन्ति साकम् ॥ (२)
शत्रुओं की शक्ति से बुद्धिमान यजमान भी घबरा जाते हैं. वे शीघ्र वहां पहुंचे, जहां सोम तैयार किया जा रहा था. वे वहां पवित्र सोम के लिए वाद्ययंत्र बजाने लगे, जिस से मधुर ध्वनि होने लगी. सोम की कृपा से असहनीय शत्रु को भी दबाया जा सकता है. (२)
Intelligent hosts are also afraid of the power of enemies. They soon reached where SOM was being prepared. They started playing instruments for the holy Soma there, which made a sweet sound. By the grace of Som, the unbearable enemy can also be suppressed. (2)