हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 15.2.1

अध्याय 15 → खंड 2 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 15)

सामवेद: | खंड: 2
सोमः पुनानो अर्षति सहस्रधारो अत्यविः । वायोरिन्द्रस्य निष्कृतम् ॥ (१)
वायु और इंद्र के लिए सोमरस निचोड़ा गया है. सोमरस पवित्र व सहस्र धारा वाला है. भेड़ के बालों की छलनी से छान कर उसे तैयार किया गया है. (१)
Somerus has been squeezed for Vayu and Indra. Someras is holy and has a thousand streams. The sheep's hair has been filtered with a sieve and prepared. (1)