सामवेद (अध्याय 15)
परि स्य स्वानो अक्षरिदिन्दुरव्ये मदच्युतः । धारा य ऊर्ध्वो अध्वरे भ्राजा न याति गव्ययुः ॥ (६)
सोमरस श्रेष्ठ व तेजस्वी है. यज्ञ में उस की धाराओं का प्रयोग किया जाता है. चमकने वाले सोमरस की ऊर्ध्व धारा गतिमान के रूप में यज्ञ में काम आती है. सोमरस को स्वाभाविक रूप से परिशुद्ध किया जाता है. (६)
Someras is superior and brilliant. Its streams are used in the yajna. The upward stream of the shining someras is used in the yagna as a dynamic. Somers is naturally purified. (6)