हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 18.4.8

अध्याय 18 → खंड 4 → मंत्र 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 18)

सामवेद: | खंड: 4
तमु त्वा नूनमसुर प्रचेतसँ राधो भागमिवेमहे । महीव कृत्तिः शरणा त इन्द्र प्र ते सुम्ना नो अश्नवन् ॥ (८)
हे इंद्र! बेटा जैसे पिता से धनभाग चाहता है, वैसे ही हम पिता तुल्य आप से धन चाहते हैं. आप धनवान, ज्ञानवान व शरणदाता हैं. हमें शरेष्ठ सुख प्रदान करने की कृपा कीजिए. (८)
O Indra! Just as the son wants money from the father, so we want money from you as a father. You are rich, knowledgeable and a giver. Please give us the best happiness. (8)