सामवेद (अध्याय 19)
एमेनं प्रत्येतन सोमेभिः सोमपातमम् । अमत्रेभिरृजीषिणमिन्द्रँ सुतेभिरिन्दुभिः ॥ (७)
हे यजमानो! सोमरस रसीला है. आप उसे परिष्कृत कीजिए. इंद्र बहुत अधिक सोमरस पीने वाले हैं. वे बहुरुचि से सोमरस पीते हैं. आप इंद्र के पास जा कर प्रार्थना कीजिए. (७)
O hosts! Somerus is succulent. You refine it. Indra is a drinker of sommers. They drink somers with great interest. You go to Indra and pray. (7)