हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 19.5.6

अध्याय 19 → खंड 5 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 19)

सामवेद: | खंड: 5
वेत्था हि वेधो अध्वनः पथश्च देवाञ्जसा । अग्ने यज्ञेषु सुक्रतो ॥ (६)
हे अग्नि! आप यज्ञों में पथप्रदर्शक हैं. आप दूर या पास सभी पथों को जानते हैं. आप सर्वज्ञाता हैं. (६)
O agni! You are a torchbearer in yagyas. You know all paths far or near. You are omniscient. (6)