हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 2.12.4

अध्याय 2 → खंड 12 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 2)

सामवेद: | खंड: 12
इन्द्र उक्थेभिर्मन्दिष्ठो वाजानां च वाजपतिः । हरिवान्त्सुतानाँ सखा ॥ (४)
हे इंद्र! आप शक्तिशालियों में सब से ज्यादा शक्तिशाली हैं. आप हरि नामक घोड़े वाले हैं. आप प्रार्थनाओं से बहुत प्रसन्न होते हैं. आप सोमरस से मित्र के समान स्नेह रखने की कृपा करें. (४)
O Indra! You are the most powerful of the powerful. You are a horse named Hari. You are very happy with prayers. Please have affection for Someras like a friend. (4)