हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 20.3.10

अध्याय 20 → खंड 3 → मंत्र 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 20)

सामवेद: | खंड: 3
तं त्वा घृतस्नवीमहे चित्रभानो स्वर्दृशम् । देवाँ आ वीतये वह ॥ (१०)
हे अग्नि! आप सर्वद्रष्टा हैं. हम आप को घी से सींचते हैं. आप अदभुत हैं. हम आप से देवताओं का आह्वान करने के लिए निवेदन करते हैं. (१०)
O agni! You are the all-perishta. We water you with ghee. You are amazing. We request you to invoke the gods. (10)