सामवेद (अध्याय 23)
वायविन्द्रश्च शुष्मिणा सरथँ शवसस्पती । नियुत्वन्ता न ऊतय आ यातँ सोमपीतये ॥ (३)
हे इंद्र! हे वायु! आप बलवान व क्षमतावान हैं. आप नियुत घोड़े को रथ में जोत कर सोमपान हेतु आइए. (३)
O Indra! O wind! You are strong and capable. You plough the appointed horse in the chariot and come for sompan. (3)