हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 23.3.2

अध्याय 23 → खंड 3 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 23)

सामवेद: | खंड: 3
व्या३न्तरिक्षमतिरन्मदे सोमस्य रोचना । इन्द्रो यदभिनद्वलम् ॥ (२)
इंद्र मेघों को भेदते व अंतरिक्ष में विशेष शोभा बढ़ाते हैं. वे सोमरस से प्रसन्न होते हैं. (२)
Indra penetrates the clouds and makes special beauty in space. They are pleased with Someras. (2)