हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 23.4.5

अध्याय 23 → खंड 4 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 23)

सामवेद: | खंड: 4
वि चिद्वृत्रस्य दोधतः शिरो बिभेद वृष्णिना । वज्रेण शतपर्वणा ॥ (५)
इंद्र ने अपनी शक्ति से सैकड़ों धार वाले वज्र से वृत्रासुर का सिर काट डाला. वृत्रासुर ने संसार को भयभीत कर रखा था. (५)
Indra cut off Vritrasura's head with hundreds of sharp vajra with his power. Vritrasura had frightened the world. (5)