हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 25.1.6

अध्याय 25 → खंड 1 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 1
अस्य व्रतानि नाधृषे पवमानस्य दूढ्या । रुज यस्त्वा पृतन्यति ॥ (६)
हे सोम! आप पवित्र हैं. आप के दृढ़ व्रतों से दुष्ट राक्षस प्रगति नहीं कर सकते. जो शन्रु युद्ध करना चाहते हैं, आप उन शत्रुओं का नाश कीजिए. (६)
O Mon! You are holy. Evil demons cannot progress with your strong fasts. Those who want to fight, you destroy those enemies. (6)