सामवेद (अध्याय 27)
प्रेता जयता नर इन्द्रो वः शर्म यच्छतु । उग्रा वः सन्तु बाहवोऽनाधृष्या यथासथ ॥ (१४)
हे वीर मनुष्यो! इंद्र आप को सुखशांतिमय बनाने की कृपा करें. आप के बाहु उग्र हों. आप को श्रु अधीन न बना सके. आप उन पर आक्रमण कर के विजय प्राप्त कीजिए. (१४)
O brave men! Indra, please make you happy. Your arms are furious. You can't be made subject to shrew. You attack them and win. (14)