हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 27.1.23

अध्याय 27 → खंड 1 → मंत्र 23 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 27)

सामवेद: | खंड: 1
अन्धा अमित्रा भवताशीर्षाणोऽहय इव । तेषां वो अग्निनुन्नानामिन्द्रो हन्तु वरंवरम् ॥ (२३)
हे इंद्र! सिर रहित सांप जैसे अंधा होता है, वैसे ही हमारे अमित्र हो जाएं. उन में से जो अग्नि की ज्वाला से बच जाएं, उन बचे हुए शत्रुओं को आप स्वयं नष्ट करने की कृपा कीजिए. (२३)
O Indra! Just as a headless snake is blind, so become our unfriendly. Those of those who escape the flame of agni, please destroy those remaining enemies yourself. (23)