सामवेद (अध्याय 27)
बलविज्ञायः स्थविरः प्रवीरः सहस्वान्वाजी सहमान उग्रः । अभिवीरो अभिसत्वा सहोजा जैत्रमिन्द्र रथमा तिष्ठ गोवित् ॥ (५)
हे इंद्र! आप सब के बल को जानते हैं. आप अत्यंत वीर, स्थविर और उग्रता सहन करने वाले हैं. आप बल सहित ही पैदा हुए हैं. आप महावीर व गोपालक हैं. आप विजयी रथ में बैठने की कृपा कीजिए. (५)
O Indra! You know the power of all. You are extremely brave, stubborn and fierce. You are born with force. You are Mahavir and Gopalak. Please sit in the victorious chariot. (5)