हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 27.1.5

अध्याय 27 → खंड 1 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 27)

सामवेद: | खंड: 1
बलविज्ञायः स्थविरः प्रवीरः सहस्वान्वाजी सहमान उग्रः । अभिवीरो अभिसत्वा सहोजा जैत्रमिन्द्र रथमा तिष्ठ गोवित् ॥ (५)
हे इंद्र! आप सब के बल को जानते हैं. आप अत्यंत वीर, स्थविर और उग्रता सहन करने वाले हैं. आप बल सहित ही पैदा हुए हैं. आप महावीर व गोपालक हैं. आप विजयी रथ में बैठने की कृपा कीजिए. (५)
O Indra! You know the power of all. You are extremely brave, stubborn and fierce. You are born with force. You are Mahavir and Gopalak. Please sit in the victorious chariot. (5)