सामवेद (अध्याय 27)
अभि गोत्राणि सहसा गाहमानोऽदयो वीरः शतमन्युरिन्द्रः । दुश्च्यवनः पृतनाषाडयुध्यो३ऽस्माकँ सेना अवतु प्र युत्सु ॥ (७)
हे इंद्र! आप हमारी व सेनाओं की रक्षा कीजिए. आप अदभुत युद्धवीर, शत्रुजित्, स्थिर, वीर, अनीति के प्रति क्रोधी व शत्रु पर दया न करने वाले हैं. आप शत्रु के गढ़ भेदने वाले हैं. (७)
O Indra! You protect us and our forces. You are a wonderful warrior, enemy, stable, brave, angry towards immorality and not pitying the enemy. You are going to penetrate the enemy's stronghold. (7)