सामवेद (अध्याय 3)
असावि सोम इन्द्र ते शविष्ठ धृष्णवा गहि । आ त्वा पृणक्त्विन्द्रियँ रजः सूर्यो न रश्मिभिः ॥ (६)
हे इंद्र! आप बलवान, शत्रुजित एवं अंतरिक्ष को सूर्य की तरह प्रकाशित करने वाले हैं. सोमरस आप को भी अपार शक्ति से भर दे. (६)
O Indra! You are strong, hostile and illuminating space like the sun. May Somerus also fill you with immense power. (6)